Dussehra 2025: दशहरा का इतिहास, महत्व, रावण दहन, परंपराएं और उत्सव
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर पर्व और उत्सव अपने भीतर गहरी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता समेटे हुए है। इन्हीं पर्वों में से एक है दशहरा (Dussehra), जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है। यह पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा, नवरात्रि के समापन और दीपावली की शुरुआत का सूचक माना जाता है।
इस दिन असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय, अहंकार पर विनम्रता और अधर्म पर धर्म की विजय का उत्सव मनाया जाता है। भारत के हर कोने में दशहरा अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है, लेकिन इसका मूल संदेश हर जगह एक ही होता है — सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है।
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📜 दशहरे का इतिहास
दशहरे की उत्पत्ति को लेकर दो प्रमुख धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं —
🏹 भगवान श्रीराम द्वारा रावण वध
रामायण के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था, तब भगवान श्रीराम ने वानर सेना और भाई लक्ष्मण की सहायता से लंका पर चढ़ाई की। नौ दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन, यानि दशमी को भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।
यही कारण है कि इस दिन को विजयदशमी कहा जाता है और रावण दहन का आयोजन किया जाता है। यह बुराई के अंत और अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
⚔️ देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर वध
दूसरी मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा ने असुरराज महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसे परास्त कर दिया। इस प्रकार दशमी तिथि को देवी दुर्गा ने धर्म की स्थापना की। इसी विजय को विजयदशमी कहा जाता है।
🙏 दशहरे का धार्मिक महत्व
- दशहरा यह संदेश देता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः धर्म और न्याय की विजय होती है।
- यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।
- इस दिन शस्त्र और औजारों की पूजा की जाती है, जिससे शक्ति और पराक्रम की प्राप्ति होती है।
- नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के बाद दशमी को विजय का दिन माना जाता है।
- इस दिन रामलीला का समापन होता है और रावण दहन करके बुराई के अंत का संदेश दिया जाता है।
📅 दशहरा कब मनाया जाता है
हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। यह आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर महीने में आता है।
इस दिन विजय मुहूर्त नामक विशेष समय होता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। बहुत से लोग इस मुहूर्त में नए कार्य, व्यापार या वाहन की शुरुआत करते हैं।
🎭 दशहरे की प्रमुख परंपराएं और रीति-रिवाज
🎇 रावण दहन
देशभर में दशहरे के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। यह दृश्य हजारों लोगों की भीड़ को आकर्षित करता है।
इसका उद्देश्य है कि लोग बुराई का नाश करें और अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर करें।
🎭 रामलीला मंचन
दशहरे से 10-15 दिन पहले से ही देशभर में रामलीला का आयोजन होता है। इसमें भगवान राम के जीवन प्रसंगों का नाटकीय मंचन होता है।
दशहरे के दिन रावण वध के दृश्य के साथ रामलीला का समापन होता है।
⚔️ शस्त्र पूजन
इस दिन शस्त्रों और औजारों की पूजा करने की परंपरा है। सेना, पुलिस, किसान और व्यापारी अपने-अपने औजारों की पूजा करते हैं और उन्हें साफ-सुथरा बनाकर सजाते हैं।
🚗 वाहन पूजन
व्यापारी, ट्रांसपोर्टर और वाहन मालिक इस दिन अपने वाहनों की भी पूजा करते हैं। वाहन पर फूल चढ़ाकर, नारियल फोड़कर और मिठाई बांटकर पूजा की जाती है।
🪔 अपर्ण पत्ते (सोना देना)
महाराष्ट्र और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में दशहरे पर एक-दूसरे को अपर्ण वृक्ष के पत्ते सोने के रूप में देने की परंपरा है। यह समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
🌍 भारत में दशहरे के प्रसिद्ध आयोजन
🏹 उत्तर भारत
दिल्ली, लखनऊ, अयोध्या, वाराणसी जैसे शहरों में भव्य रामलीला और रावण दहन का आयोजन होता है। बड़े-बड़े मैदानों में रावण के विशाल पुतले बनाकर आतिशबाजी के बीच दहन किए जाते हैं।
🪷 पश्चिम बंगाल
यहां दशहरा को विजयदशमी कहा जाता है। यह दुर्गा पूजा के अंतिम दिन मनाया जाता है।
इस दिन देवी दुर्गा की मूर्तियों का भव्य विसर्जन जुलूस निकलता है, जिसमें महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं (सिंदूर खेला)।
🏇 मैसूर (कर्नाटक)
मैसूर का दशहरा पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस दिन मैसूर पैलेस को लाखों दीपों से सजाया जाता है और शाही जुलूस निकाला जाता है जिसमें सजे-धजे हाथी, घोड़े और नर्तक मंडली शामिल होती है।
🎊 महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में दशहरे पर सोने के पत्ते देना, शमी वृक्ष की पूजा, और मराठा परंपरा के अनुसार शस्त्र पूजन की विशेष परंपरा है।
🛐 दशहरा पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर घर को स्वच्छ करें।
- भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी की मूर्तियों या चित्रों को सजाएं।
- कलश स्थापना करें और शमी वृक्ष की पूजा करें।
- श्रीराम चरितमानस या रामायण का पाठ करें।
- दीपक जलाकर आरती करें और भोग लगाएं।
- शाम को रामलीला देखें और रावण दहन में भाग लें।
💡 दशहरे से मिलने वाली सीखें
- धर्म और सत्य की हमेशा जीत होती है।
- अहंकार, अत्याचार और अन्याय का अंत निश्चित है।
- बुराई का विरोध और अच्छाई का समर्थन करना चाहिए।
- कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और संयम बनाए रखना चाहिए।
- नारी का सम्मान करना चाहिए।
- समाज में सद्भाव और एकता बनाए रखनी चाहिए।
🌱 आधुनिक युग में दशहरा
आज दशहरा केवल धार्मिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बन गया है।
कई स्थानों पर अब पर्यावरण-अनुकूल रावण पुतले बनाए जाते हैं, ताकि प्रदूषण कम हो।
स्कूल, कॉलेज और संस्थान भी दशहरा को सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नाटकों और कवि सम्मेलनों के रूप में मनाते हैं।
🧠 बच्चों और युवाओं के लिए दशहरे का महत्व
- यह पर्व बच्चों को सदाचार, नैतिकता और साहस का पाठ पढ़ाता है।
- युवाओं को यह सिखाता है कि जीवन में संघर्ष होंगे, लेकिन धैर्य और सत्य से जीत संभव है।
- यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव को मजबूत करता है।
💬 निष्कर्ष
दशहरा (विजयदशमी) एक ऐसा पर्व है जो हमें यह सिखाता है कि अंधकार के बाद प्रकाश आता है, बुराई के बाद अच्छाई की जीत होती है।
यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हमें दशहरे के संदेश — सत्य, धर्म, साहस और सद्भावना — को अपने जीवन में उतारना चाहिए और हर साल इस पर्व को उत्साहपूर्वक मनाना चाहिए।